हमर नजरि

हमर नजरि

Friday, October 24, 2008

padya

प्रकाश झा, ग्राम+पो.- कठरा, भाया-पुटाई, थाना- मनीगाछी, दरभंगा, बिहार (भारत)

हमर मिथिलाक दर्शन 

मैथिल छी हम, मैथिली बजबामे अछि कोन लाज

देश हो वा परदेश ज्यो हम करै छी ओऽ तऽ काज

मिथिला के याद करबैछ सदिखन, विद्यापतिजी माथपर शोभैत पाग।

 हमरा लोकनिक पिता जनक, बहिन सीता, बहनोइ छथि राम

कमला-कोशी अछि चरण जकर पखारैत ओ अछि हमर मिथिला धाम।

 मैथिल कवि लोकनिक पोथीमे पढ़ैत रहए छी जे खिस्सा

मनमे उठैत रहैत अछि जिज्ञासा जे आओर कतेक बाकी अछि प्रशंसा

 कोइलिक कु-कू राग सुनि मोन म मारऽ...लगैत अछि टीस

तखने किछु काल बाद नम्र हृदय सऽ निकलैत अछि गोसाउनिक गीत

 विद्यापति, मण्डन, अयाची आऽ मैथिलपुत्र प्रदीप

हिनकर लोकनिक सुन्दर लेखन पढ़ि मोनमे जड़ैत अछि शब्दक दीप

 

एहि मातृभूमिपर पान, मखान, खराम कऽ अछि एकटा इतिहास

बाढ़-बोन के आड़ि-धुरपर बैस, नीक लगैछ मड़ुआ रोटी- सागक स्वाद।

 

चहु ओर हरियाली, घर फूसक, लच-लच करैत ओऽ खरहीक टाट।

भोरे सुइत-उठि कए बाधमे सुन्दर लगैत अछि शीतल घास।

घरक चारपर कुम्हर, कदीमा आओर सजमनिक अछि लत्ती पसरल

नजरि नञि लागए कोनो डैनियाहीके, ताहि लऽ एकटा खापैड़मे कारी-चून लेपल राखल।

पछबाड़ि कातक बारीमे राखल एकटा कटही गाड़ी पुरान

बाबू-कक्का चौकपर बैसल, बाबा धेने छथि दलान।

 

आब कतेक हम विवरण करबए, शब्दसँ अछि ठेक भरल

मिथिलांचलमे मैथिली भाषाक लेल छी हम मैथिल भिड़ल

 

मिथिला चित्रकला एखनो धरि केने अछि राज देश-विदेश

संगहि प्रकाशझाक ई प्रस्तुति पढ़ि बुझबइ एकटा छोट सनेस।

 

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