हमर नजरि

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Monday, January 31, 2011

कोल्कता पुस्तक मेला मे मैथिलि पोथिक अस्तित्व

कोल्कता -कोल्कता पुस्तक मेला आसाल मे पोथी प्रकाशक सब केर प्रदर्शनी हेतु आयोजन
कायल जायत अछि, मुदा अहि बेर सी-डी-कैसेट टेलीविजन चैनल आई- टी , आ इनकम टेक्स के स्टाल सब के उपस्थित सेहो देखल गेल , प्रवेश द्वार के डिजाईन जोरासंको ठाकुर बारी के रूप मे बनाओल गेल अछि , अही मेला मे बंग प्रदेश होई के नाते बंगला भाषा केर प्रधानता देखल गेल , हिंदी के सेहो गिनल चुनल स्टाल छल , अहि मेला मे सब स बेशी रबिन्द्रनाथ टैगोर आ प्रेम चंद के पोथी स सजल छल , बैद्यनाथ मिश्र यात्री (नागार्जुन) के सेहो पोथी देखल गेल , दोसर तरफ मैथिलि के ज्यो बात करी त भारतीय भाषा परिषद् केर स्टाल पर हरिमोहन झा रचित “खट्टर काका ” केर एकटा पोथी नजर आयल , साहित्य अकादमी केर स्टाल पर रबिन्द्रनाथ टैगोर के रबिन्द्र कथाबली मैथिलि पोथी नजर आयल , मुदा हिंदी आ बंगाली के बिभिन्न स्टाल par तकला स विद्यापति जी केर एकोटा पोथी नजर नहि आओल , तखन मन मे कचोट पहुंचल जे हम क त आ हमर मिथिला क त , कहै क लेल त मैथिलि सब अपना के लेखक -कवी कहैत छैथ , मुदा से सब की मंच पर काब्य पथ धरि सिमित छैथ , साहित्य अकादमी मे मैथिलि के बिशिष्ट स्थान अछि , मुदा मैथिलि स एहन अनदेखी किएक , कहै क लेल त सिर्फ कलकत्ता मे मैथिलि केर लगभग 25 टा कवी -लेखक छैथ , मुदा ओ लोकनि विभिन्न संस्था स जुरल छैथ आ ओकर कार्यक्रम मे मंच पर कविता पथ क सिमित भ जायत छैथ , आई काल्ही के नवतुरिया सब मंच पर कवी के आबिते हुर्दंग मचाब लागैत अछि , किएक त किछु कवी के हरेक मंच पर उपयोग कायल जायत अछि , किछु कवी के छोइर औरो कवी के कविता -कहानी -आ गजल मे फर्क तक नहि बुझ्हल छैन , किएक त साहित्यिक ज्ञान केर कमी छैन , मुदा संस्था द्वारा हिनकर लोकनिक नाम कवी के लिस्ट मे द देला स ओ अपना आप के कवी के रूप मे देखैत छैथ , ते आग्रह जे मैथिलि के संग अन्याय बंद करी आ एकर अस्तित्वा पर ध्यान दी आ जे नवतुरिया कविता नहि सुने चाहैत अछि , ओकरा लिखी आ सुनबा लेल अथक प्रयास करी टखने मैथिलि केर अस्तित्वा कायम रहत ।

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