हमर नजरि

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Thursday, February 10, 2011

मैथिली चेतना, कोलकाता के आह्वाहन

मैथिली चेतना, कोलकाता के आह्वाहन

दुलरा दयाल, राजा सलहेस, लोरिक, दिनाभद्री आ विद्यापतिक भाषा मैथिली भाषा । २०११ के जनगणना मे अपन मातृभाषा मैथिली लिखाऊ।
अहि मंत्र के संग कोलकाताक एकटा ई नव संस्था कोलकाता केर मैथिली साहित्यकार केर संस्था बनी के अपनेक माय बहिनक आँचर आ अपनेक लोकनि केर पाग के लाज बचाबई हेतु आयल अछि, अहि मे अपनेक लोकनि सहयोग करी आ मैथिली केर आठम अनुसूची मे अयला बादो, स्कुल सब स बंचित भाषा के प्राथमिक स्तर पर मैथिली शिक्षा के आने लेल हाथ-मे-हाथ बढ़ा के चलै के संकल्प ली...
अहि लेख के बेशी स बेशी लोक लग प्रचार-प्रसार करी । तखने मैथिली केर अस्तित्व बाँचत॥ आ सब गोटे के कहियोन।

नहि चलत नाच, नहि चलत भाषण।
बचाउ अपन मातृभाषा केर
जे राजनीती मे अछि फँसल ॥ (प्रकाश कुमार झा )

विशेष जानकारी हेतु संपर्क करी.:-अशोक चौधरी - +919804904914 हिनका लोकनि के अहाँ सब के फ़ोन आ ई-मेल के इंतज़ार छनि, जे कतेक आदमी अहि स सहमत छि॥

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